शिव महा पुराण के छठे दिवस कथा में देवताओं को अमर करने हेतू अमृत प्राप्ति के लिए समुंदर मन्थन का वर्णन किया गया

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शिव महा पुराण के छठे दिवस कथा में देवताओं को अमर करने हेतू अमृत प्राप्ति के लिए समुंदर मन्थन का वर्णन किया गया
मंडी गोबिंदगढ़, 22 अगस्त (मनोज भल्ला ) मंडी गोबिंदगढ़ के महावार रोड शास्त्री नगर में सथित श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर में श्री हरि कथा समिति एवं श्री अंबिका ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज के सहयोग से शिव प्रेमी भगत जनों के लिए शिव महा पुराण का 17 अगस्त से 27 अगस्त तक आयोजन किया जा रहा है। श्री सच्चिदानंद महाराज जी खन्ना से शिव महिमा को सुनने के लिए विशेष रूप मे उपस्थित हुए जिनका श्री हरि कथा समिति के सदस्यों की तरफ से उनका अभिनंदन किया गया। शिव महा पुराण कथा के छठे दिवस अरुण अग्रवाल (अंबिका ग्रुप)ने भगवान शिव महा पुराण का विधिवत पूजन किया व आचार्य नित्यानंद गिरि जी व्रंधावन जी का तिलक लगाकर उनका पूजन कर आशिर्वाद प्राप्त किया। आज की कथा में प्रसाद की सेवा व बत्ता परिवार की तरफ से की गई।

श्री शिव महा पुराण कथा के छठे दिवस आचार्य नित्यानंद गिरि जी ने तारकासुर के पुत्र तारकक्ष विद्युन्माली, कमलाक्ष के घोर तपस्या का वर्णन सुनाया कि तप द्वारा ब्रह्मा जी से नाना प्रकार के वरदान को प्राप्त किया।आचार्य नित्यानंद गिरि जी ने कहा कि वरदान प्राप्त कर देवताओं पर आक्रमण कर ‘देवताओं को मारना तथा देवलोक से भगाना शुरू किया जिससे देवतागण ब्रह्मा के पास जाकर उनसे उन दैत्यो के उत्पात से बचने का उपाय पूछते है। अचार्य जी ने कथा में आगे कहा कि भगवान श्री हरि नारायण ने उन दैत्यों को मोहित कर उन्हें पथ भ्रष्ट किया तब देवलोक में शांति की स्थापना हुई। दक्ष द्वारा तपस्या करने पर भगवान श्री हरि नारायण ने उसे पुत्र प्राप्ति वरदान दिया तब शंखचूड की उत्पति हुई।

आचार्य नित्यानंद गिरि जी ने कहा कि देवताओं और दानवों में भयानक युद्ध हुआ जिसे देवासुर संग्राम कहा जाता है। इस युद्ध मे दैत्यों से देवता हार गये तथा बहुत सारे देवता मारे गये थे। भगवान के प्रेरणा से देवताओं को अमर करने हेतू अमृत प्राप्ति के लिए समुंदर का मन्थन किया गया। अमृत देवताओं को पिलाकर भगवान ने सभी देवताओं को अमर कर दिया।

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