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2021-22 में स्टील का रिकॉर्ड उत्पादन अपेक्षित; श्री फग्गन सिंह कुलस्ते, इस्पात राज्य मंत्री

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2021-22 में स्टील का रिकॉर्ड उत्पादन अपेक्षित; श्री फग्गन सिंह कुलस्ते, इस्पात राज्य मंत्री

उद्योग से पर्यावरणीय लक्ष्यों और लागत में कमी को प्राप्त करने के लिए कोक की खपत को कम करने का आग्रह किया -श्री फग्गन सिंह कुलस्ते

नई  दिल्ली , 14 जनवरी (ब्यूरो)श्री फग्गन सिंह कुलस्ते, इस्पात एवं ग्रामीण  विकास राज्य मंत्री ने  Steel & Metallurgy  Magazine द्वारा आयोजित वेबिनार “कोक मेकिंग, प्रोद्यौगिकी, मांग एवं मार्किट आउटलुक सेमिनार में कहा कि 2020-21 में नाकारात्मक  प्रदर्शन के बाद वित्तीय वर्ष 2021 -22 में दो-दो कोरोना की लहर के बाबजुद तेज रफ्तार से स्‍टील सेक्‍टर बहुत अच्छा  प्रदर्शन कर रहा है I

उन्होंने कहा कि अप्रैल 2021 से दिसम्बर 2021 तक स्टील सेक्टर ने क्रूड एवं फिनिश्ड इस्पात के उत्पादन एवं निर्यात  में अब तक का सबसे बेहतर प्रदर्शन किया है । इस अवधि में क्रूड इस्पात का उत्पादन 87 मिलियन टन हुआ, मुझे पूरा उम्मीद है कि इस वित्तीय  वर्ष मे क्रुड इस्पात का उत्पादन 115 मिलियन टन के आस पास रहेगा । उन्होंने यह भी बताया कि स्टील की घरेलू मांग बढ़ रही है और निर्यात में कंपनियों के प्रयासों के परिणामस्वरूप 10.33 मिलियन टन का निर्यात हुआ है।

उन्होंने आगे कहा कि जैसा कि आप जानते हैं कि इस्‍पात की लागत में 40-42% कोकिंग कोल का योगदान है। देश में  कोल की पर्याप्‍त उपलब्‍धता के बावजूद ज्यादा राख होने के कारण इस्पात बनाने में उपयुक्त नहीं है, जिस वजह से आवश्यकता का 85% से ज्यादा कोकिंग कोल का आयात करना पड़ता है और विदेशी मुद्रा भंडार का बहुत बड़ा हिस्सा खर्च होता हैi उन्होंने यह भी कहा कि कोकिंग कोल के खपत को कम करके वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों का उपयोग को इस्पात के उत्पादन मे बढ़ाने पर विचार करने की जरूरत पर बल दिया ।

वैश्विक स्तर पर एक टन हॉट मेटल के उत्पादन में कोक दर 275 किलोग्राम से 350 किलोग्राम तथा PCI  दर 200 किलोग्राम से 225 किलोग्राम है ।  भारत में कई इस्पात उत्पादक करीब 350 किलोग्राम कोक दर और 200 किलोग्राम के आस पास PCI दर बनाए हुए है ।अभी भी कुछ भारतीय मिलें वैश्विक मानकों से पीछे हैं । उन्होंने इस्पात उद्योग को बेहतर तकनीक के प्रयोग द्वारा कोक की खपत को वैश्विक स्तर तक लाने की सलाह दी ।

उन्होंने आगे कहा कि भारत में वर्ष 2005 में एक टन कास्ट इस्पात के उत्पादन में कार्बन डाइआक्साइड का उत्सर्जन 3.1 टन था, जो अब करीब 2.5 टन हो गया है । वर्ष 2030 तक प्रति टन कास्ट स्टील के उत्पादन पर कार्बन डाइआक्साइड का उत्सर्जन 2.4 टन करना है और मुझे उम्मीद है की भारत इसे पहले ही हासिल कर लेगा । उन्होंने वेबिनार में उद्योगों से अनुरोध किया कि वे न केवल कोयले के आयात को कम करे, बल्कि इस्पात उद्योग के कार्बन फुट प्रिंट को कम करने के लिए कोक के बदले वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों पर चर्चा करें I

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